नही तो पीछाने रे बीरा ओ जी थारा दुर्बल बहुत शरीरा,
नही तो पीछाने रे बीरा ओ जी थारा दुर्बल बहुत शरीरा,
ना तन देखे पूरी अयोध्या ,
ना सरयू के तीरा ।
ना तन देखे हो संग राम के
है कोई छल गीरा । 1 ।
सो योजन मरजाद सिंधु की
किस विद्य उतरयो तीरा ।
इस नगरी में राक्षस जबर है
किण् विध धारयों धिरा ।2।
लंका कूद विलंका कुदयो,
उतरयो सागर तीरा ।
मार छलांग गिरी से लांघे ,
में हनुमत बलबीरा ।3।
सेतु बांध रामेश्वर थरप्यो,
चढ़े राम रणधीरा ।
तुलसीदास धरे धीर जानकी
आप चड्डे रघुवीरा ।4।
Bhajan : Nahi to Puchhane re Bira | नही तो पीछाने रे बीरा ओ जी थारा दुर्बल बहुत शरीरा
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