हाँ देवकी के जतन बणाऊँ मैं
हाँ देवकी के जतन बणाऊँ मैं
इस बालक न गोकुल में किस ढाल पहुंचाऊँ मैं
गळ म तोख पड़्या मेरे हाथ हथकड़ी जड़ी हुई
हाल्या चाल्या जाता ना पाया म बेड़ी पड़ी होई
सांकळ ताले सब भीड़रे चोगङदे फाटक जड़ी हुई ।
कंस का है भारी पहरा बाहर पहरेदार खड़े
हाथ म खड्ग लेके होके न हुँशियार खड़े
मतवाले से हाथी कुते दरवाजे से बाहर खड़े
हाँ निकल किस तरियां जाऊं मैं --
मेरी खुले हथकड़ी बेड़ी फेर तो ना घबराऊँ मैं
देवकी के.....1
वासुदेव मन में घबराया ,काया म बेदन सी छिड़गी
ईश्वर के करने से लोगोँ बेड़ी औऱ हथकड़ी झड़गी
ऐसी फिरि हरि की माया पहरे दाराँ पर माटी पड़गी
दोनुआं का मन बढ़या देख के न ऐसा हाल देवकी न चाह म भर के पालणे सुवाया लाल
कृष्णजी ने सिर पर धर के चाल पड्या महि पाल ।।
हाँ देवकी तन समझाऊं मैं
तू ईश्वर रटती रहिए जब तक वापस आऊं मैं
देवकी.......2
वासुदेव चाल पड़्या देवकी स करके बात
भादवे की काली पीली गरजे थी अंधेरी रात
बेटे हाल चा मं भरके समझया कोन्या अपना गात ।
आगे जमना भरी हुई पीछे सिंह बोल रहया
कंस के बोलां का तीर काळजै न छोळ रहया
किस तरियां त जाया जागा, राजा का दिल डोल रहया
हाँ प्रभु तेरा शुक्र मनाऊँ मै --ं
यो बालक बचना चाहिए बेशक तँ मर जाऊं मै
देवकी के......3
वासुदेव चाल पड़्या मन में करके सोच विचार ।
आगे सी ने पहुंचे राजा बहै थी कसूती धार । वासुदेव भीतर बडग्या, देवता जल, नै छुछ कार ।
आगे सी न पहुंचे राजा नाक तक पाणी आया
पिताजी न दुःखी देख कृष्णजी न पांव लटकाया
चरण चुम के उत्तरी जमुना ऐसी फिरि हरि की माया
उठान
हाँ कथा कृष्ण की गाऊं मैं ---
कहे बाजे भगत सुसाने के ,ईब गुरु मनाऊँ मैं
देवकी......4
नाथ जी महाराज की जय
बहुत सुंदर भजन
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