भोला भांग तुम्हारी, मैं घोटात-घोटात हारी
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भोला भांग तुम्हारी, मैं घोटात-घोटात हारी
मुझसे न घोटी जाए
की तेरी एक दिनां की होए तो घोंटूं, रोज़ न घोंटी जाए
सुन गणपति की महतारी, घोंटो भांग हमारी
बिन भंग रहा नहीं जाए
गौरां तोकू छोड़ दऊँ भंग न छोड़ी जाए
जिस दिन से मैं ब्याही आई भाग हमारे फूटे
राम करे ऐसा हो तेरा सिल-बट्टा ही टूटे
हाँ टूटे - २
छले पड़ गए हाथों में, क्यों तरस न मोपे खाए
की तेरी एक दिनां की होए तो घोंटूं, रोज़ न घोंटी जाए
भोला भांग तुम्हारी, मैं घोटात-घोटात हारी...
क्रोध में आके शिव शंकर ने खोला अपना झोला
एक निकली चरस की गोली, एक भांग का गोला
हाँ गोला - २
गोला, गोली खाकर बोले क्रोध में यूं फरमाए
गौरां तोकू छोड़ दऊँ भंग न छोड़ी जाए
सुन गणपति की महतारी, घोंटो भांग हमारी
बिन भंग रहा नहीं जाए
गौरां तोकू छोड़ दऊँ भंग न छोड़ी जाए
भांग चढ़ाए जो मुझपे, मैं पूरी आशा करता
मन इच्छा पूरी करके मैं उनके संकट हरता
मै हरता - २
इसी लिए वो भक्त मेरा मुझमे ही आन समाए
अरे, गौरां तोकू छोड़ दऊँ भंग न छोड़ी जाए
सुन गणपति की महतारी, घोंटो भांग हमारी
सुन भोला भांग तुम्हारी, मैं घोटात-घोटात हारी
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