Sunday, 11 June 2017

Bungala Dekhi Teri Ajab Bahar | बुंगला देखी थारी अजब बहार


बुंगला देखी थारी अजब बहार, जां में निराकार दीदार ॥टेक॥

काया बुंगला मँ पातर नाचै, देख रहयो संसार ।
किताक पगड़ी ले चल्या, कई गया जमारो हार ॥1॥

काया बुंगला में बीणजी बिणजै, बिणजै जिनसे अपार ।
हरिजन हो सो हीरा बिणजै, पात्थर या संसार ॥2॥

काया बंगला में दौड़ा दौड़ै, दौड़ रहया दिनरात ।
पांच पच्चीस मिल्या पाखरिया, लूट लिया बाजार ॥3॥

काया बुंगला में तपसी तापै, अधर सिंहासन ढाल ।
हाड़ मांस से न्यारो खेलै, खेलै खेल अपार ॥4॥

काया बुंगला में चोपड़ मांडी, खेलै खेलण हार ।
अबकै बाजी मंडी चौवठै, जीत चलो चाहे हार ॥5॥

नाथ गुलाम मिल्या गुरु पूरा, जद पाया दीदार ।
भानी नाथ शरण सतगुरु कै, हर भज उतरो पार ॥6॥

Song:

बुंगला देखी थारी अजब बहार l Bungala Dekhi Teri Ajab Bahar

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