Saturday, 11 February 2017

Chadar Jhini Ram Jhini | चादर झीणी राम झीणी


  चादर झीणी राम झीणी 
चादर झीणी राम झीणी, या तो सदा राम रस भीणी॥टेर॥


अष्ट कमल पर चरखो चाले, पाँच तंत की पूणी।
नौ दस मास बणताँ लाग्या, सतगुरु ने बण दीनी॥1॥


जद मेरी चादर बण कर आई, रंग रेजा ने दीनी।
ऐसा रंग रंगा रंगरेजा, लाली लालन कीनी॥2॥

मोह माया को मैल निकाल्या, गहरी निरमल कीनी।
प्रेम प्रीत को रंगलगाकर, सतगुरुवाँ रंग दीनी॥3॥

ध्रुव प्रहलाद सुदामा ने ओढ़ी, सुखदेव ने निर्मल कीनी।
दास कबीर ने ऐसी ओढ़ी, ज्यू की ज्यू धर दीनी॥4॥ 
जय श्री नाथ जी की

Song:

Chadar Jhini Ram Jhini | चादर झीणी राम झीणी

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