Tuesday, 14 February 2017

Sada Jeeva Sukh Se jeena | सादा जीवन सुख से जीना


सादा जीवन सुख से जीना, अधिक इतराना ना चाहिए।
 भजन सार है इस दुनियाँ में, कभी बिसरना ना चाहिये॥टेर॥


मन में भेदभाव नहीं रखना, कौन पराया कुण अपना।
 ईश्वर से नाता सच्चा है, और सभी झूठा सपना॥ 
गर्व गुमान कभी ना करना, गर्व रहै ना गले बिना।  
कौन यहाँ पर रहा सदा सें, कौन रहेगा सदा बना॥ 
सभी भूमि गोपाल लाल की, व्यर्थ झगड़ना ना चाहिये॥1॥

दान भोग और नाश तीन गति, धन की ना चोथी कोई। 
जतन करंता पच् मरगा, साथ ले गया ना कोई॥ 
इक लख पूत सवा लाख नाती, जाणै जग में सब कोई। 
रावण के सोने की लंका, साथ ले गया ना कोई॥ 
सुक्ष्म खाना खूब बांटना, भर भर धरना ना चाहिये॥2॥

भोग्यां भोत घटै ना तुष्णा, भोग भोग फिर क्या करना। 
चित में चेतन करै च्यानणो, धन माया का क्या करना॥ 
धन से भय विपदा नहीं भागे, झूठा भरम नहीं धरना। 
धनी रहे चाहे हो निर्धन, आखिर है सबको मरना॥ 
कर संतोष सुखी हो मरीये, पच् पच् मरना ना चाहिये॥3॥

 सुमिरन करे सदा इश्वर का, साधु का सम्मान करे। 
कम हो तो संतोष कर नर, ज्यादा हो तो दान करे॥ 
जब जब मिले भाग से जैसा, संतोषी ईमान करे। 
आड़ा तेड़ा घणा बखेड़ा, जुल्मी बेईमान करे॥ 
निर्भय जीना निर्भय मरना ,'शंभु' डरना ना चाहिये॥4॥


Song:

Sada Jeeva Sukh Se jeena | सादा जीवन सुख से जीना



No comments:

Post a Comment