Friday, 27 January 2017

Ghat Rakho Ata; Surati Ne | घट राखो अटल सुरती ने

घट राखो अटल सुरती ने, दरसन कर निज भगवान का ॥टेर॥

सतगुरु धोरे गया संतसंग में, गुरांजी भे दिया हरि रंग में ।
शबद बाण मर्या मेरे तन में, सैल लग्या ज्यूँ स्यार का ॥
मेरा मन चेत्या भक्ति में ॥1॥

जबसे शबद सुण्या सतगरु का, खुल गया खिड़क मेरे काया मंदिर का ।
मात पिता दरस्या नहीं घरका, दूत लेजा जमराज का ।
तेरा कोई न संगी जगती में ॥2॥

नैन नासिका ध्यान संजोले, रमता राम निजर भरजोले ।
बिन बतलाया तेरे घट में बोले, बेरो ले भीतर बाहर का ॥
अब क्यूँ भटके भूली में ॥3॥

अमृतनाथजी रम गया सुन्न में, मुझको दीदार दिखा दिया छत में ।
मद्यो मगन हो जा भजन में, रुप देख निराकार का ।

अब क्या सांसा मुक्ति में ॥4॥

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Song:

Ghat Rakho Ata; Surati Ne | घट राखो अटल सुरती ने

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