ग्वालिड़ा तू कोनी जाने पिड़ परायी
पिड़ परायी रे प्रीत परायी
बेठ कदम पर साँवरो बंसी बजायी जी
(रे मेवाड़ी राणा रे) सब गाय न घिर आयी
चोर चोर दही माखन खायो जी
(रे मेवाड़ी राणा रे) ब्रज की नार डराई
जनमत ही कुल त्यारण कहियो जी
(रे मेवाड़ी राणा रे) मात-पिता , गुरु भाई
राजा माधोसिंह जी रा कुवर प्रताप सिंघजी
(रे मेवाड़ी राणा रे)सब मिल सोरठ गाई
बोल कृष्ण चन्द्र भगवान की जय
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