गणेश आया रिद्धि सिद्धि ल्याया, भरया भण्डारा
रहसी ओ राम,मिल्या सन्त उपदेशी,
गुरु मोंयले री
बाताँ कहसी ,ओ राम म्हान झीणी झीणी बाता कहसी ॥टेर॥
हल्दी का रंग
पीला होसी, केशर कद बण ज्यासी ॥1॥
कोई खरीद काँसी, पीतल, सन्त शब्द लिख
लेसी ॥2॥
खार समद बीच अमृत भेरी, सन्त घड़ो भर
लेसी ॥3॥
खीर
खाण्ड का अमृत भोजन, सन्त नीवाला लेसी ॥4॥
कागा कँ गल पैप माला, हँसलो कद बण
ज्यासी ॥5॥
ऊँचे टीले धजा फरुके, चौड़े तकिया रहसी
॥6॥
साध-सन्त रल भेला बैठ, नुगरा न्यारा
रहसी ॥7॥
शरण मछेन्दर जती गोरख बोल्या, टेक भेष की रहसी
॥8॥
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